Hits: 84



जियोलाजिकल टाइम स्केल का विभाजन
- इयोन (Eon) – प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन (हेडन इयोन, आर्कीयन इयोन, प्रोटेरोजोइक इयोन)
- महाकल्प (Era)
- कल्प (Period)
- युग (Epoch)
- काल (Age)
प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन का विभाजन
- हेडन इयोन – Rock Less Eon
- आर्कीयन इयोन – ऑक्सीजन की उत्पत्ति, ओजोन का निर्माण, सबसे पहला जीव का जन्म.
- प्रोटेरोजोइक इयोन – 03 बार हिम युग, पहला supercontinent बना.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई? कैसे पृथ्वी; ठंडी हुई और पृथ्वी पर धरातल तथा वायुमंडल बना. आखिर; “साइनोबैक्टेरिया” ने किस प्रकार ऑक्सीजन की उत्पत्ति की? लेकिन; क्या धरातल पर, ऐसे जीव भी हुए हैं? जिनको ऑक्सीजन की आवश्यकता ही ना हो ? क्या इन सभी का सम्बन्ध प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन से है? इसके अतिरिक्त हमें यह भी जानने को मिलेगा कि; क्या धरती के महाद्वीप, पहले भी ऐसे ही थे, जैसे आज हैं ! अन्टार्क्टिका; क्या हमेशा से, पृथ्वी के दक्षिण में ही था? क्या; भारत के दक्षिणी भाग में, बहुत बड़ा हिमनद था?
इसके साथ ही; हम यह जानेंगे कि, कैसे हर युग में; जीवों की प्रजातियाँ समाप्त हो जाती थीं? अगर ये साधारण बात है; तो क्या वर्तमान मनुष्य का अस्तित्व भी, समाप्त हो जायेगा? और उससे भी बड़ा सवाल कि; इन सभी बातो का पता प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन से कैसे चलता है? क्या किसी भी स्केल से समय (मानक समय / स्थानीय समय) को माप सकते हैं? आइये विस्तार से जानते हैं –
Table of contents
- जियोलाजिकल टाइम स्केल
- प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन (Precambrian Supereon)
- निष्कर्ष
- Follow My Channel – “Geo Facts” On
- Also Read My “BEST ARTICLES”
जियोलाजिकल टाइम स्केल
इस स्केल में; पृथ्वी के इतिहास का अध्ययन, आसानी से किया जा सकता है. इसमें पृथ्वी की आयु की गणना की जा सकती है. चट्टानों की आयु निकाली जा सकती है. हिमयुग कब और कितनी बार आया; इसकी जानकारी आसानी से मिल सकती है. कहने का मतलब ये है कि;
इस स्केल (मापनी) के जरिये हम; बीते हुए समय के बारे में, जानकारी जुटा सकते हैं. यह जानकारी जुटाई जाती है – चट्टानों में मौजूद जीवों के अवशेषों से.
जीवों के अवशेषों (Paleontology) के अध्ययन में हम अध्यारोपण के नियम (Law Of Superposition) का सहारा लेते हैं. जो यह बताता है कि;
अध्यारोपण का नियम (Law Of Superposition) : इस नियम के अनुसार ; चट्टान की प्रत्येक निचली परत, अपने ऊपर के परत की तुलना में, पुरानी होती है.
इस आधार पर; हम पृथ्वी के इतिहास को, निम्न भागों में बांटते है –



जियोलाजिकल टाइम स्केल की शब्दावलियाँ
- पृथ्वी के इतिहास में सबसे बड़े खंड को; जियोलाजिकल टाइम स्केल में, Eon (इयोन) कहते हैं. पृथ्वी में अभी तक 04 इयोन निर्धारित किये गए हैं. – हेडन इयोन (Hadean Eon), आर्कीयन इयोन (Archean Eon), प्रोटेरोजोइक इयोन (Proterozoic Eon) तथा फेनेरोज़िक इयोन (Phanerozoic Eon). इसमें हेडन, आर्कीयन तथा प्रोटेरोज़िक इयोन को सम्मिलित रूप से प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन (Precambrian Supereon) कहते हैं.
- इयोन को महाकल्प (Era) में बांटा जाता है.
- महाकल्प; कल्प (Period) में विभाजित होते हैं.
- कल्प; युग (Epoch) में बंटा हुआ होता है.
- युग को काल (Age) में विभाजित किया जाता है.
आइये विस्तार से जानते हैं कि; कब, क्या घटित हुआ.
प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन (Precambrian Supereon)
पृथ्वी की उत्पत्ति और पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का गवाह; प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन (Precambrian Supereon) है. सबसे पहला जीव; इस पृथ्वी पर, इसी समय उत्पन्न हुआ. इस समय ना केवल ऑक्सीजन की उत्पत्ति हुई; बल्कि, ओजोन गैस का भी निर्माण हुआ. इसी समय 4 बड़े हिम युग (Huronian, Sturtian, Marinoan, Cryogenian) आये. और महाद्वीपों का विघटन भी सबसे पहले इसी समय हुआ. सबसे पहला सुपरकॉन्टिनेंट – “Rodinia” इसी समय बना और फिर टूट गया.



प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन को 03 इयोन में बांटा गया है –
- हेडन इयोन (Hadean Eon)
- आर्कीयन इयोन (Archean Eon)
- प्रोटेरोजोइक इयोन (Proterozoic Eon)
आइये जानते हैं –
1. हेडन इयोन (Hadean Eon): 4600 – 3800 मिलियन वर्ष पूर्व
- प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन का सबसे पहला इयोन – हेडन इयोन है.
- “Hadean” शब्द ग्रीक भाषा के शब्द ‘Hell’ से लिया गया है. Hell का अर्थ है- “नरक”. वास्तव में इस समय पृथ्वी गर्म आग का गोला थी. इसीलिए; इसे यह शब्द दिया गया.
- इसे “Rock less Eon” भी कहा गया है. क्योंकि; इस समय तक, पृथ्वी की गर्म अवस्था के कारण, पृथ्वी का धरातल ठोस रूप में नहीं आ पाया था.
- इसके बाद पृथ्वी का गुरुत्वीय क्षेत्र बढ़ने लगा. जिसके कारण; पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल बनने लगा.
- इस समय के शुरूआती वायुमंडल में खतरनाक जहरीली गैसें – अमोनिया, मीथेन, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड थी.
- परन्तु; इस समय तक ऑक्सीजन उपस्थित नहीं थी.
- गुरुत्वीय क्षेत्र के बढ़ने के कारण; इस समय पृथ्वी के केंद्र में, लोहे जैसे भारी पदार्थों का जमाव होने लगा.
- जबकि; सिलिकॉन और ऑक्सीजन जैसे हलके पदार्थ धरातल की ओर ऊपर उठ गए.
- इसी कारण से पृथ्वी की 03 परते बनी – Crust, Mental और Core.
- क्रस्ट (Crust) का निर्माण हुआ – ऑक्सीजन और सिलिकॉन जैसे हल्के तत्वों से.
- मेंटल (Mental) का निर्माण हुआ – मैगनीशियम और सिलिकॉन जैसे तत्वों से.
- कोर (Core) का निर्माण हुआ – लोहे और निकिल जैसे भारी तत्वों से.
- Hadean Eon के अंत तक क्रस्ट की पतली चादर विकसित होने लगी और उच्च वायुमंडलीय दाब के कारण; जलवाष्प संघनन की प्रक्रिया शुरू होने लगी.
परन्तु; पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई – आर्कीयन इयोन (Archean Eon) में.



2. आर्कीयन इयोन (Archean Eon): 3800 – 2500 मिलियन वर्ष पूर्व
इस इयोन के शुरुआत तक भी धरातल गर्म था. जिस कारण; महाद्वीपों का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया था. शायद; भारी उल्कापात के कारण, क्रस्ट की पतली परत को नुकसान पहुँच रहा होगा. इसके साथ ही Plate Tectonic Activity के कारण क्रस्ट की रीसाइक्लिंग बहुत तेज़ गति से हो रही होगी.
Archean के अंत तक; Tectonic Activity, आज के जैसे मंद होने लगी.
इस समय पृथ्वी की शुरूआती चट्टानों की उत्पत्ति हुई. पृथ्वी के प्रथम शुरूआती चट्टानों के कुछ अवशेष; आज भी कुछ महाद्वीपों – अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीनलैंड और उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं. इन्हें कॉन्टिनेंटल शील्ड (Continental Shield) कहते हैं.
कॉन्टिनेंटल शील्ड – प्रिकैम्ब्रियन समय की शुरूआती चट्टानों के अवशेष ; आज भी जिन स्थानों पर पाए जाते हैं. उन स्थानों को शील्ड कहा जाता है. इस संबध में 03 शब्दावली प्रचलित हैं –
1. क्रेटन (Craton) – महाद्वीप के प्राचीन और स्थिर भू-भाग क्रेटन कहलाते हैं. जिनका निर्माण प्रिकैम्ब्रियन समय में प्राचीन क्रिस्टलाइन चट्टान से हुआ है.
2. शील्ड (Shield) – क्रेटन के वे भाग; जो महाद्वीप के ऊपर सतह पर दिखाई देते हैं.
3. प्लेटफ़ॉर्म (Platform) – यदि शील्ड के ऊपर अवसादी चट्टानों का जमाव पाया जाता है, तो उसे प्लेटफ़ॉर्म कहते हैं.
शील्ड | महाद्वीप/देश |
पश्चिम इथियोपिया शील्ड | इथियोपिया |
अंगारण शील्ड | साइबेरिया |
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया शील्ड | ऑस्ट्रेलिया |
कैनेडियन शील्ड | कनाडा |
भारतीय शील्ड | भारत |
गुइयाना शील्ड | दक्षिण अमेरिका |
जीवन की प्रथम शुरुआत
- कुछ विद्वान मानते हैं कि; पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति, अन्तरिक्ष से उल्कापात की घटना के कारण हुई.
- परन्तु; कुछ विद्वानों का मानना है कि; पृथ्वी की शुरूआती वायुमंडलीय गैसें – अमोनिया, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि जब, CO2 के साथ मिली, तो इससे Single Organic Compound बना.
सबसे पहले जन्म हुआ – साधारण, बिना केन्द्रक वाले एक कोशिकीय जीव (Prokaryote) का.
- ये Anaerobic Prokaryote (अवायुवीय) थे. अर्थात; इन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं थी. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि; अभी तक ऑक्सीजन की उत्पत्ति नहीं हुई थी. ये उर्जा के लिए हाइड्रोजन तथा कार्बन स्त्रोत के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड का प्रयोग करते थे.
- ये मीथेन गैस का उत्सर्जन करते थे.
- ये आज भी कुछ विशेष स्थानों पर पाए जाते हैं. जहाँ पर ऑक्सीजन बहुत कम होती है. जैसे – दलदल, गर्म पानी के स्त्रोतों आदि.
इसके बाद जन्म हुआ – ऑक्सीजन को जन्म देने वाले साइनोबैक्टेरिया का
- साइनोबैक्टेरिया; एक शैवाल की किस्म है.
- शैवाल के द्वारा; प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के कारण, ऑक्सीजन की उत्पत्ति हुई.
- इसी ऑक्सीजन के कारण वायुमंडल में ओजोन गैस का निर्माण हुआ.
- ओजोन गैस के निर्माण के बाद; जीवन की संभावना और भी बढ़ गयी. क्यूंकि; ओजोन गैस, सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से धरातल की रक्षा करने लगी.
- साइनोबैक्टेरिया समूह में रहते थे और कॉलोनी का निर्माण करते थे. इनके द्वारा बनायीं गयी कॉलोनी को Stromatolite कहते हैं.
- ये Stromatolite; चूने से निर्मित प्रथम चट्टान मानी जाती है. हालाँकि; आज मूंगे की चट्टानों ने, इनकी कॉलोनी को काफी हद तक परिवर्तन कर लिया है.
- परन्तु; आज भी इनके अवशेष, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के शार्क बेसिन में पाए जाते हैं.
3. प्रोटेरोजोइक इयोन (Proterozoic Eon): 2500 – 542 मिलियन वर्ष पूर्व
इस इयोन में कुछ खास परिवर्तन हुए. आइये जानते हैं –
वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी
इस समय वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी. परन्तु यह मात्रा निरंतर नहीं बढ़ रही थी. इसकी मात्रा घटती बढती रहती थी. जबकि साइयनोबैक्टेरिया निरन्तर ऑक्सीजन का निर्माण करने में लगे हुए थे. तो फिर ऐसा क्यों होता था.
ऐसा माना गया कि; ऑक्सीजन की बढ़ती हुई मात्रा ने , साइयनोबैक्टेरिया को ही नष्ट कर दिया.
दरअसल; खुले वातावरण में ऑक्सीजन, एक रासायनिक अभिक्रिया करता है. जिसे हम ऑक्सीकरण (लोहे में जंग लगना) कहते हैं. तो विद्वानों का मानना था कि; ऑक्सीकरण के कारण, साइयनोबैक्टेरिया के द्वारा निर्मित कॉलोनी – Stromatolite नष्ट होने लगी. जिसके कारण; साइयनोबैक्टेरिया भी, नष्ट होने लग गए.
ऑक्सीजन की घटती बढती मात्रा के प्रमाण
- जब वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी; तो उस समय की चट्टानों के स्तरों में मौजूद, अधिकांश लोहे का ऑक्सीकरण हो गया .
- जब ऑक्सीजन कम हुई; तो चट्टानों में ऑक्सीकरण भी कम हो गया.
तो इस प्रकार; चट्टानों के स्तरों में लोहे के ऑक्सीकरण का, systematic कम-ज्यादा पाया जाना यह साबित करता है कि, ऑक्सीजन का स्तर घटता बढ़ता रहा.
ऑक्सीजन का स्थिर level; लगभग 1.9 बिलियन वर्ष पूर्व हुआ माना जाता है.
हिम युग का पर्दार्पण
इस समय पृथ्वी को “Snow Ball Earth” कहा जाने लगा. ऐसा इसलिए हुआ; क्यूंकि, इस समय पृथ्वी में 03 हिमयुग आये.
जीवों की नयी प्रजातियों का विकास
इससे पहले तक केवल Single cell Prokaryote (बिना केंद्रक वाले एक कोशिकीय) जीव थे. परन्तु; इस समय उनमें जटिलताएं (complex) आनी शुरू हो गयी. ऐसा क्यों हुआ? आइये जानते हैं –
- माना गया कि; आहार श्रृंखला में, बड़े Prokaryote Cell ने, ऐसे छोटे Prokaryote Cell को निगल लिया होगा, जिसका वायुमंडल में अत्यधिक ऑक्सीकरण हो गया था. इसके कारण विकसित हुआ – Mitochondrion ( इसे Cell का Powerhouse कहते हैं.)
- बड़े Prokaryote Cell ने, ऐसे छोटे Photosynthetic Prokaryote Cell को भी निगल लिया होगा, जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं. इससे Chloroplast (इसे पौधे का भोजन का स्त्रोत कहते हैं) बना होगा.
इस प्रक्रिया में विशेष प्रकार के जटिल प्रणाली वाले जीव – Eukaryotic Cell का निर्माण हुआ.
इससे; एक कोशिकीय Eukaryotic Cell वाले जीव – Acritarchs, इस समय महासागर में तेजी से विकसित होने लग गए.
Supercontinent – “Rodinia”
प्रोटेरोजोइक इयोन के अंतिम समय में एक supercontinent बना. जिसका नाम पहले “पेंजिया”रखा गया. किन्तु; 1990 में इसका नाम बदल कर “Rodinia”रख दिया गया.
Rodinia; Neo Proterozoic Eon में टूट कर पुनः एक दूसरे supercontinent में बदला जिसका नाम – “Pannotia”रखा गया.
निष्कर्ष
तो देखा आपने; किस प्रकार प्रिकैम्ब्रियन महाइयोन में, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई . कैसे पृथ्वी गर्म अवस्था से ठंडी हुई और इस धरती पर जीवों की शुरुआत हुई.
आशा है; आपको इस आर्टिकल से जरुर कोई नवीन जानकारी मिली होगी. अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगे, तो Please नीचे comment करके बताये. और इसे अपने दोस्तों के साथ share जरुर करें. ताकि उन्हें भी यह नवीन जानकारी मिल सके.
Follow My Channel – “Geo Facts” On
Also Read My “BEST ARTICLES”


ज्ञानवर्धक पोस्ट
Dhanyawad ma’am.
jabardast Sir kya baat.
Thank you so much sir.
Excellent information sir 👌👌
Thank you so much sir.
Very nice ati Sundar
Very nice ati Sundar
Thank you so much sir.
Excellent information especially for a beginner. Thanks a lot Sir.
Thank you so much sir.