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क्या समय के साथ साथ छेड़छाड़ की जा सकती है? क्या कोई देश; अपने समय को आगे बढ़ा सकता है? क्यूंकि अगर ये मुमकिन है; तो हर कोई अपने बीते हुए कल में लौट सकता है? अभी हाल ही में कजाकिस्तान ने अपने समय को 1 घंटा आगे बढ़ाया है. आखिर कैसे? कोई देश अपने समय को आगे – पीछे कर सकता है.
इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि; स्थानीय समय क्या होता है? कैसे स्थानीय समय के आधार पर; मानक समय का निर्धारण किया जाता है. क्या किसी देश में एक ही मानक समय होता है? और कैसे; मानक समय को आगे पीछे किया जा सकता है? इसके अतिरिक्त जानेंगे कि; आखिर वो कौन सी घड़ी है, जिसको आधार मानते हुए, पूरी दुनिया का समय निश्चित किया जाता है. आइये विस्तार से जानते हैं –
कजाकिस्तान के Kyzylorda प्रान्त ने अपने टाइम जोन को 1 घंटा आगे बढ़ा कर UTC+6 से UTC+5 कर लिया है.
अनुक्रम
- समय क्या है? और कैसे समय का निर्धारण किया जाता है?
- देशांतर रेखाएं
- स्थानीय समय (Local Time)
- मानक समय (Standard Time)
- 1 से अधिक मानक समय वाले देश
- क्या मानक समय को बदला जा सकता है?
- क्या भारत में 2 मानक समय होने चाहिए?
- अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
- निष्कर्ष
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समय क्या है? और कैसे समय का निर्धारण किया जाता है?
समय एक भौतिक राशि है. समय के बीतने के साथ – साथ; घटनाएँ, घटती जाती है. इसीलिए; एक घटना से दूसरी घटना तक जाने के अन्तराल को, समय कहते हैं.
समय को मापने के लिए हम घड़ी का प्रयोग करते हैं.
परन्तु घड़ी का अविष्कार तो आधुनिक समय में हुआ है. तो इससे पहले समय को कैसे मापते थे.
समय को मापने के तरीके
प्राचीन समय से लेकर अभी तक समय को मापने के लिए अनेक यंत्रों का प्रयोग किया जाता था. उनमे से कुछ का विवरण इस प्रकार है –
1. नक्षत्र वेधशालाएं
सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्रों के आधार पर पहले टाइम का पता लगाया जाता था. इसके लिए नक्षत्र वेधशालाएं बनायीं जाती थी.
भारत में 5 नक्षत्र वेधशालाएं बनायीं गयी थी. जो कि; जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में स्थापित हैं. इसमें से सबसे पहले दिल्ली में वेधशाला का निर्माण किया गया था. इसका निर्माण; 1724 में, सवाई जय सिंह द्वितीय ने किया था.
इन वेधशालाओं में बनाये गए विभिन्न यंत्रों; जैसे – सम्राट यंत्र, सौर घड़ी, मिश्र यंत्र आदि की सहायता से टाइम का निर्धारण किया जाता था.
2. धूप घड़ी
धूप घड़ी का अविष्कार अनेक्जिमेंडर ने किया था. उन्होंने इसे “नोमोन” नाम दिया था. इस घडी में धूप की परछाई के आधार पर दिन में टाइम की गणना की जाती है.
3. जल घड़ी
समय को मापने के लिए जल घड़ी का प्रयोग विभिन्न सभ्यताओं द्वारा किया जाता रहा है. इसमें एक पात्र में किसी द्रव का सहारा लिया जाता था. और एक निश्चित समय के बाद वह जल; उसके नीचे स्थित बर्तन में, चला जाता था.
4. रेत घड़ी



रेत घड़ी भी; जल घड़ी के समान ही थी. इसमें बीच के छेद से बालू नीचे गिरता था.
5. देशांतर रेखाएं
आधुनिक समय में देशांतर रेखाओं के द्वारा टाइम का निर्धारण किया जाता है. देशांतर के आधार पर प्रत्येक देश का अपना मानक समय (Standard Time) निर्धारित किया जाता है. जिसके आधार पर उस देश की समस्त घड़ियाँ मिलायी जाती हैं.
सवाल ये उठता है कि; क्या केवल एक रेखा से समय का मापन, हो सकता है? आखिर; ये देशांतर रेखाएं क्या हैं?
देशांतर रेखाएं
पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को मिलाकर खींची जाने वाली रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहते हैं. इनकी संख्या 360 होती है.



ये रेखाएं अर्ध वृताकार होती हैं. भूमध्य रेखा पर देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी सबसे अधिक होती है. जबकि ध्रुवों की ओर जाते हुए इनके बीच की दूरी घटती जाती है. और; ध्रुवों पर ये सभी रेखाएं एक बिंदु पर मिल जाती हैं.
0 डिग्री की देशांतर रेखा को “प्रधान मध्याहन रेखा” (Prime Meridian) कहते हैं. यह लन्दन के ग्रीनविच वेधशाला से गुजरती है.
But; मन में एक सवाल जरुर उठता है कि, अगर देशांतर एक रेखा है. तो फिर इसे; डिग्री में क्यों मापा जाता है?
देशांतर रेखा; एक कोणीय दूरी होती है
दरअसल; देशांतर एक कोणीय दूरी होती है. अर्थात; 45 डिग्री पूर्व की रेखा यह बता रही है कि, यह स्थान, प्रधान मध्याहन रेखा (0 डिग्री) से 45 डिग्री पूर्व में स्थित है.
इसीलिए; इसे डिग्री में मापा जाता है.



परन्तु; देशांतर से समय का मापन कैसे किया जाता है?
देशांतर और समय
0 डिग्री की देशांतर रेखा; जिसे प्रधान मध्याहन रेखा भी कहते हैं, से टाइम को निर्धारित किया जाता है. चूँकि; पृथ्वी, पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है. अतः; 0 डिग्री की देशांतर रेखा से, पूर्व की ओर वाले स्थानों का समय, आगे होगा. और; 0 डिग्री की देशांतर रेखा से, पश्चिम की ओर वाले स्थानों का टाइम, पीछे होगा.
इसे हम थोड़ा और विस्तार से समझते हैं –
- पृथ्वी पर देशांतर रेखाओं की संख्या है – 360
- पृथ्वी; 24 घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है. अर्थात; 24 घंटे में 360 डिग्री घूम जाती है.
- इसका मतलब ये हुआ कि; पृथ्वी हर 1 घंटे में 15 डिग्री (360/24 = 15) घूम जाती है.
- अगर; पृथ्वी को 15 डिग्री घूमने में 1 घंटे का समय लग रहा है, तो पृथ्वी; 1 डिग्री देशांतर घूमने में 4 मिनट (60/15 = 4) का समय लेती है.
तो देखा आपने; कि 4 मिनट में पृथ्वी, 1 डिग्री घूम जाती है. और; 1 घंटे में 15 डिग्री.
इसीलिए; देशांतर रेखाओं से समय का निर्धारण किया जाता है.
But; एक सवाल बार बार मन में हिचकोले खा रहा है कि, देशांतर रेखाओं से किसी देश का समय कैसे निर्धारित किया जाता है?
देश के समय निर्धारण के लिए मानक समय का प्रयोग किया जाता है. और मानक समय को समझने के लिए स्थानीय समय को समझना बहुत जरुरी है.
स्थानीय समय (Local Time)
किसी स्थान पर सूर्य; जिस समय, सबसे अधिक ऊंचाई पर रहता है (दिन के 12 बजे). उस समय को; उस स्थान का, स्थानीय समय (Local Time) कहते हैं. किसी 1 देशांतर रेखा पर स्थित; सभी स्थानों का, स्थानीय समय एक ही होता है.
अर्थात; अगर मान लिया जाये कि, 45 डिग्री देशांतर रेखा पर इस समय दिन के 12 बज रहे हैं तो, उस देशांतर पर स्थित, पृथ्वी के उत्तर से दक्षिण तक के सभी स्थानों पर, दिन के 12 बज रहे होंगे.
लेकिन; किसी भी देश में, अनेक देशांतर रेखाएं गुजरती हैं. अगर; भारत देश की ही बात करें, तो भारत में लगभग 30 देशांतर रेखाएं गुजरती हैं. और प्रत्येक देशांतर रेखा के; स्थानीय समय से, भारत देश का समय, निर्धारित नहीं किया जा सकता है.
अतः; इसके लिए प्रयोग करते हैं – मानक समय का
मानक समय (Standard Time)
किसी भी देश के मध्य भाग से गुजरने वाली देशांतर रेखा के स्थानीय समय को ही, उस देश का मानक समय कहते हैं.
अर्थात; यदि किसी देश के मध्य भाग में गुजरने वाली देशांतर रेखा पर, दिन के 12 बज रहे हों. तो उस वक्त से; उस देश की समस्त घड़ियों को मिला लिया जाता है.
भारतीय मानक समय (IST – Indian Standard Time)
भारत का Standard time; 82 0 30 ‘ पूर्वी देशांतर रेखा के, local time को, माना गया है. यह रेखा इलाहाबाद के नैनी क्षेत्र से होकर गुजरती है.
भारत का मानक समय (IST) कौन निर्धारित करता है
भारत का standard time “राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला” संस्थान निर्धारित करता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
भारतीय मानक समय कितने राज्यों से होकर गुजरता है ?
Indian Standard Time 5 राज्यों से होकर गुजरता है.



1 से अधिक मानक समय वाले देश
यदि देश का पूर्व – पश्चिम विस्तार बहुत अधिक है. अर्थात; यदि वहां पर देशांतर रेखाओं की संख्या काफी अधिक है, तो वहां पर 1 से अधिक स्टैण्डर्ड टाइम प्रयुक्त किये जाते हैं.
विश्व में ऐसे बहुत से देश हैं, जहाँ पर 1 से अधिक स्टैण्डर्ड टाइम प्रयुक्त किये जाते हैं. इनमे से कुछ का विवरण निम्न है –
देश | कुल प्रयुक्त स्टैण्डर्ड टाइम | टिप्पणी |
फ्रांस | 12 | विश्व में सर्वाधिक स्टैण्डर्ड टाइम वाला देश |
अमेरिका | 11 | – |
रूस | 11 | – |
अन्टार्क्टिका | 10 | यहाँ दुनिया का हर टाइम जोन मिल जाता है. |
ब्रिटेन | 9 | – |
ऑस्ट्रेलिया | 8 | – |
कनाडा | 6 | – |
डेनमार्क | 5 | – |
क्या मानक समय को बदला जा सकता है?
बिल्कुल. प्रत्येक देश अपनी सुविधानुसार, अपने मानक समय को निर्धारित करता है.
यही कारण है कि; कजाकिस्तान ने अपने मानक समय को 1 घंटा आगे किया है.
क्या भारत में 2 मानक समय होने चाहिए?
भारत का देशांतर विस्तार 68 0 7 ‘ पूर्वी देशांतर से 97 0 25 ‘ पूर्वी देशांतर के बीच में है. लगभग 30 ० देशांतर विस्तार का अंतर है. इस हिसाब से भारत के पूर्वी और पश्चिम भाग में 2 घंटे का अंतर आता है.
इस सन्दर्भ में “राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला” ने भी भारत में 2 मानक समय का प्रस्ताव रखा है. उनके अनुसार; निम्न 2 स्टैण्डर्ड टाइम होने चाहिये –
- IST – 1 (UTC + 5.30 h ) 82 0 30 ‘ पूर्वी देशांतर रेखा
- IST – 2 (UTC + 6.30 h ) 89 0 52 ‘ पूर्वी देशांतर रेखा
इसमें IST – 2 के अंतर्गत भारत के पूर्वोतर राज्य शामिल होंगे. जबकि; शेष भारत के लिए IST – 1 स्टैण्डर्ड टाइम होगा. इससे भारत में 15 से 20 मिलियन किलोवाट उर्जा की सालाना बचत की जा सकती है.
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
प्रधान मध्याहन रेखा (0 डिग्री देशांतर) के ठीक विपरीत; पृथ्वी पर खींची गयी 180 डिग्री की काल्पनिक रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) कहते हैं. यह रेखा प्रशांत महासागर में स्थित है. साइबेरिया (रूस) को; अलास्का (अमेरिका) के टाइम जोन से दूर रखने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को 75 डिग्री अक्षांश पर पूर्व की और मोड़ दिया गया है.
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को यदि कोई व्यक्ति; पश्चिम से पूर्व की ओर पार करता है, तो उसे एक दिन की वृद्धि होती है. और यदि; पूर्व से पश्चिम की ओर, इसे पार करे, तो इसमें 1 दिन की कमी दर्ज होती है.
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण 1884 को वाशिंगटन में आयोजित एक सम्मलेन में किया गया था.
निष्कर्ष
तो देखा आपने; किस प्रकार पृथ्वी के विभिन्न देशों में स्टैण्डर्ड टाइम का निर्धारण किया जाता है. कैसे कोई भी देश; अपने स्टैण्डर्ड टाइम को आगे पीछे खिसका सकता है.
आशा है; आपको इस आर्टिकल से जरुर कोई नवीन जानकारी मिली होगी. अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगे, तो Please नीचे comment करके बताये. और इसे अपने दोस्तों के साथ share जरुर करें. ताकि उन्हें भी यह नवीन जानकारी मिल सके.
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Thank you so much sir
Very informative…. Keep it up
Thank you sir.